मन-संसार
एक नज़र अपने समय पर...
बुधवार, 14 मई 2014
मन-संसार की यादे ...
तुझको सोचा तो खो गई आखें,
दिल का आईना हो गई आखें
ख़त
का
पढ़ना
भी
मुश्
किल
हो
गया
,
सारा
काग़ज़
भिगो
गईं
आंखें।
सोमवार, 12 मई 2014
जुल्म, भूख और बेरहमी कभी इस जहां से खत्म नहीं हो सकती।
रविवार, 16 फ़रवरी 2014
मित्रो समय और समाज बिल्कुल बदल चुका है।
मित्रो समय और समाज बिल्कुल बदल चुका है।
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